क्या नारी त्यागने मात्र से बेड़ा पार हो जाएगा?

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शंका

क्या नारी त्यागने मात्र से बेड़ा पार हो जाएगा?

समाधान

एक बार किसी ने सुनाया “ढोर-गंवार-शूद्र-पशु-नारी, सकल ताड़ना के अधिकारी”; वहाँ एक महिला बैठी थी बोली-“देखो! नारी इस में एक है, बाकी चार पुरुष हैं; ढोर भी, गंवार भी, शूद्र भी, पशु भी, सब पुल्लिंग हैं। अब ज्यादा ताड़नीय कौन है? 

मध्य युग में एक काल ऐसा आया, जब स्त्रियों को बहुत ज्यादा कोसा गया। वस्तुतः स्त्री को कोसना उचित नहीं है, कोसना चाहिए मनुष्य के मन के विकार को। 

संसार में विष बेल नारी तजि गये जोगीश्वरा” यह जो कहा जाता है, मैं पूछता हूँ यदि नारी विष बेल है, तो उसमें उगने वाला, उससे जन्म लेने वाला पुरुष क्या विष फल नहीं कहलाएगा? विष के बेल में तो केवल विष फल ही उत्पन्न होता है, इसलिए इसके प्रतीक के रूप में इसे समझना चाहिए। नारी को तजने से काम नहीं होगा, अन्दर के विकार को तजने से काम होगा। इसलिए संशोधित करने वालों ने इसे इस तरीके से भी लिखा है “संसार की विषिया अभिलाषा तजि गए योगीश्वरा” तो इस तरह से इसको समझना चाहिए।

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