एकाग्रता क्या है?
एकाग्रता से अभिप्राय है कि आप अपने दिमाग को गलत और अनचाहे विचारों से बचायें रखना, साथ ही अपना सारा ध्यान एक जगह पर लगाए रखना । वैसे तो जीवन के हर हिस्से में एकाग्रता की जरूरत होती है, परन्तु पढाई करने वाले बच्चों के लिए एकाग्र होना बहुत ही जरुरी है क्योंकि यदि बच्चे अपनी पढाई ध्यान से करेंगे तो परिणाम स्वरुप उनका भविष्य अच्छा होगा।
एकाग्रता कैसे?
मन को एकाग्र करने के लिए सबसे पहले लक्ष्य को सामने रखें। बच्चे जो खास तौर से पढ़ाई में एकाग्रता लाना चाहते हैं, वे सबसे पहले तो अपने मन में संकल्प करें कि हमें पढ़ना है। फिर जिस पढ़ाई को हम पूरा करने जा रहे हैं उसमें हमारे रूचि होनी चाहिए। बच्चों को एक समय नियमित लक्ष्य बनाना चाहिए। कितना काम करना है और अपने लक्ष्य की प्राप्ति में जो भी बाधक तत्व हैं उन से खुद से दूर रखना चाहिए। आज के युग में अगर देखा जाए तो पढ़ाई में सबसे ज्यादा बाधा अगर आती है तो वह दोस्तों से आती है। दोस्ती ज्यादा बढ़ने से फोन, मोबाइल, इंटरनेट आदि से नज़दीकियां ज्यादा बढ़ जाती हैं और बार-बार सामने वालों की बातें दिमाग में आती है। इससे एकाग्रता खंडित हो जाती है, इसलिए सभी बच्चे जब तक पढ़ाई कर रहे हैं तब तक दोस्ती सीमित रखें तथा दोस्ती को अपने अंतर्मन के साथ जुड़ने ना दें। यदि दोस्ती को स्कूल कॉलेज या ट्यूशन तक सीमित राखी जाए तो वह ठीक है पर अगर इस दायरे से बाहर दोस्ती का सवाल आता है तो उसे खुद पर हावी नहीं होने देनी चाहिए।
सारांश
बच्चों को ध्यान रखना होगा की ऐसी सभी चीज़ें जिससे उनका ध्यान पढाई से भटकता है वे उसे खुद से बहुत ज्यादा ना जोड़ें। ऐसा कर पाना थोड़ा मुश्किल है, पर यदि दृढ़ निश्चयी होकर दिमाग को प्रशिक्षित कर लिया जाएगा तो पढाई ही नहीं अपितु कोई भी कार्य संभवतः सफलता से पूर्ण किया जा सकता है।
Leave a Reply