बच्चों की तुलना नहीं प्रशंसा करें

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बच्चों की तुलना नहीं प्रशंसा करें

तुलना नहीं प्रशंसा करें
अक्सर देखा जाता है माता पिता को अपने बच्चों की तुलना दूसरों के बच्चों से करने की एक बहुत बुरी आदत होती है। चाहे उनके बच्चे कितना भी अच्छा काम कर ले लेकिन उनको कुछ दिखता ही नहीं है। अच्छे अभिभावक को आदर्श स्थापित करना चाहिए और बच्चों की अच्छाई की सदैव प्रशंसा करनी चाहिए। उनको प्रोत्साहित करना चाहिए।

बच्चों को क्रिटिसाइज़ नहीं, क्रिटिगाइड कीजिये

क्रिटिसाइज का मतलब होता है किसी को सीधे-सीधे कहना तुममें ये कमी है, तुम यह नहीं करते, तुम पढ़ते नहीं, तुम किसी काम के नहीं हो। अपने बच्चों के लिए मां-बाप ऐसी बातें कर देते हैं, इसका बच्चों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इसकी जगह यदि अभिभावक अपने बच्चों को क्रिटिगाइड करें, जैसे तुम कितना अच्छा लिखते हो, तुम्हारी राइटिंग कितना अच्छी है, तुम बोलते भी बहुत अच्छा हो, जो काम कोई नहीं कर सकता वह काम तुम पल में निपटा देते हो, तुम पढ़ते भी हो, तुम्हारे मार्क्स भी कभी कम नहीं आए लेकिन थोड़ा सा तुम और अपना फोकस बनाओगे और थोड़ा मन लगाकर पढोगे तो तुम स्कूल में टॉप करोगे। ऐसे अपने बच्चों को क्रिटिगाइड करिये। बच्चों के गुणों की प्रशंसा करें, उनकी कमियों को प्यार से उन्हें बताकर दूर करने का प्रयास करें।

बच्चों का सही मार्गदर्शन करें

हर बच्चे का स्वभाव, रासायनिक एवं जैविक रचना अलग-अलग होती है। उसकी दूसरों के साथ तुलना न करें। उसको डांट फटकार कर हतोत्साहित न करें क्योंकि इससे वह हीनभावना और अवसाद का शिकार हो सकता है। उसकी प्रतिभा पहचान कर उसे उसी रूप में ढालने का प्रयत्न करें।

Edited by: Pramanik Samooh
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