क्या साधारण श्रावक चौथे गुण-स्थान को प्राप्त कर सकते हैं?
प्राप्त करेंगे नहीं, करें हैं, यह सोचो- “कर जाएंगे नहीं, हमें सम्यक्त्व प्राप्त करना नहीं, मैं सम्यक्त्वी ही हूँ, मेरे पास एक मूल्यवान रत्न है जिसे मुझे पूरी जिंदगी संभाल कर रखना है। क्योंकि यही संसार से पार होने का टिकट है”। इसी के बल पर मोक्ष मिलेगा।
आप लोग ATM रखते हो? ‘महाराज, ATM के बिना तो काम ही नहीं चलता।’ ATM का मतलब? ANY TIME MONEY नहीं, एनी टाइम मौत। लेकिन वो ATM अलग है। यह सम्यक दर्शन मोक्ष का टिकट है। जिसे सम्यक दर्शन हो गया और वह मोक्ष को प्राप्त कर सकता है। मुझे संभाल कर रखना है जब तक यह मेरे पास नहीं होगा तब तक मेरा बेड़ा पार नहीं होगा। इसलिए मुझे इसे किसी भी अर्थ में खोना नहीं है। सम्यक्तोचित कर्तव्यों का का पालन करो और मिथ्यात्व पोषक प्रवृत्तियों से सौ हाथ दूर रहो। जीवन सलामत बना रहेगा।
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