सम्यक दर्शन, ज्ञान, चारित्र जीव में एक साथ कैसे प्रकट होते हैं?

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शंका

सम्यक दर्शन, ज्ञान, चारित्र जीव में एक साथ कैसे प्रकट होते हैं?

समाधान

सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान, सम्यक चारित्र की एकरूपता तभी प्रकट होती है जब कोई निर्ग्रंथ मुद्रा को धारण करता है, दिगंबर दीक्षा को धारण करता है। दिगम्बरी दीक्षा लेने के बाद उसके अंदर कर्म का क्षय- क्षयोपसम होने पर सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान, सम्यक चारित्र, ये तीनों अलग अलग प्रकट होते हैं। इनके प्रकट हो जाने के उपरांत, जब वे ध्यान में निमग्न होते हैं, परमसिद्धोपयोग में लीन होते हैं, तब तीनों की एकरूपता होती है, जिसके परिणाम स्वरूप केवल ज्ञान की उपलब्धि होती है।

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