शंका
सोलह कारण भावना में तीर्थंकर प्रकृति का बंध होता है लेकिन इस काल में तीर्थंकर प्रकृति का बंध नहीं है तो वर्तमान में इसका क्या उपयोग है?
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समाधान
सोलह कारण भावना भाने से तीर्थंकर प्रकृति का बंध भले ना हो पर सोलह कारण भावना भाने से एक युग में जीव तीर्थंकर प्रकृति का बंध करके भगवान बन जाता है। आज के युग में तीर्थंकर प्रकृति का बंध नहीं होता तो मैं आपसे यह कहता हूँ चौथे काल में सोलह करण की भावना भाने वाले तीर्थंकर बन कर भगवान बनते थे और पंचम काल में सोलह कारण भावना भाने वाले भगवान बने या ना बने पर भाग्यवान बन जाते है।
Edited by: Pramanik Samooh
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