क्या घर में कुत्ते-बिल्ली पालना ठीक है?

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शंका

आज के समय में घरों में तिर्यंच गति के जीव जैसे कुत्ते-बिल्ली आदि पालने वाले लोगों का क्या धर्म होता है या उनकी क्या गति होती है? उसके बारे में बताएँ?

समाधान

बहुत ही स्पष्ट बात कहता हूँ- हमारे शास्त्रों में कुत्ते-बिल्ली जैसे क्रूर प्राणियों को पालने का स्पष्ट निषेध किया गया है। न केवल निषेध किया गया, उसे नरक आयु के बन्ध का कारण बताया गया है। कुत्ते-बिल्ली जैसे क्रूर प्राणियों को पालने से नरक आयु का बन्ध होता है, ऐसा कभी मत करना और इसके बड़े दुष्परिणाम हैं। 

जो पशुपालन के योग्य हो, वहीं पालो, गाय पालो कुत्ता नहीं। गाय और कुत्ते में बहुत अन्तर है, गाय वात्सल्य का प्रतीक है कुत्ता क्रूरता का प्रतीक है। जिस घर में गाय होती है उस घर में वात्सल्य बढ़ता है। बछड़े सहित गाय के रहने पर पॉजिटिव एनर्जी का फ्लो होता है। अभी बहुत से ऐसे रिसर्च हुए हैं कि गाय और बछड़ों को लंबे समय तक रखने से लोगों का पारस्परिक वात्सल्य बढ़ता दिखा है। लेकिन कुत्ते से क्रूरता बढ़ती है। अपनों से भी लोग दूर हो जाते हैं, इसलिए कुत्ता नहीं गाय पालो। आज उल्टा हो रहा है, घर में गाय नहीं है, कुत्ते आ गए, मतलब वात्सल्य विदा हो गया और क्रूरता घर में प्रवेश कर गई। बहुत खतरनाक है, इस क्रूरता से बचाव करें। 

समय कैसा बदला, पहले घर के दरवाजे पर लिखा मिलता था ‘स्वागतम, सुस्वागतम, अतिथि देवो भव”। फिर लिखा जाने लगा ‘वेलकम’, अब लिखा जाता है ‘सावधान अन्दर कुत्ते हैं’। कितना अन्तर है, इसके बड़े दुष्परिणाम हैं। इनके प्रति सावधान हो जाना चाहिए। मैं लोगों के इस कुत्ता कल्चर की बढ़ती हुई परिपाटी को देखकर बड़ा आश्चर्य करता हूँ। मेरे सम्पर्क में एक व्यक्ति हैं, उसने कहा ‘महाराज! मेरे एक रिश्तेदार का डाइवोर्स केवल इस बात से हो गया कि पति उसके कुत्ते को प्यार नहीं करता है। दोनों डॉक्टर हैं, पति-पत्नी के बीच में कुत्ते को लेकर डाइवोर्स हो गया’ यह बलिहारी है, यह विडंबना है। पश्चिम का अन्धानुकरण भारत में होने लगा, यह सब नहीं होना चाहिए; और मैं तो आप सब से कहूँगा अपने घर मत करना। जिसके घर में कुत्ता पलता हो, बिल्ली पलती हो, हम लोग उसके घर आहार नहीं लेते। ध्यान से सुनना,  अपने घर में अगर आप कुत्ता-बिल्ली पालते हो तो चौका मत लगाना क्योंकि घर की शुद्धि ही नहीं है। वो कुत्ता तो पूरे घर में घूमता है, शुद्धता कहाँ होगी, अशुद्धि है और नेगेटिव एनर्जी का फ्लो होता है। अत: यह सब परिपाटी कतई धर्म सम्मत नहीं है और हमारे जीवन व्यवहार के लिए भी उचित नहीं है। यदि इसकी जगह गाय पालना लोग शुरू कर दें तो समाज संकट से बहुत आसानी से उबर सकता है।

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