शंका
क्या मंदिर में क्षेत्रपाल आदि देवी देवताओं को पूजना उचित है?
समाधान
हमारा जैन धर्म अहिंसा और वीतरागता को महत्व देता है। हम अहिंसा और वीतरागता के उपासक है, तो हमारे मूल आराध्य तो वीतराग देव-शास्त्र-गुरु हैं। इसके अतिरिक्त जो कुछ भी आए, अलग-अलग समयों में अलग-अलग रीति से आए।
हमारे आचार्य तो यही कहते हैं ‘वीतराग को भजो, वीतरागता को पूजो तभी वीतरागता को प्राप्त कर सकोगे।’
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