व्यक्ति सोचता कुछ है और हो कुछ जाता है, ऐसे में क्या करें?

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शंका

हमारे जीवन में कुछ भी तय नहीं रहता, व्यक्ति सोचता कुछ है और हो कुछ जाता है, तो ऐसी स्थिति में अपने आप को सहज किस प्रकार से रखा जाए?

समाधान

ऐसी स्थिति में अपने आप को सहज रखने का सहज उपाय यह है कि जो होता है उसे स्वीकार करो, अनावश्यक मत सोचो। अनावश्यक सोचने वाला सदैव दुखी होता है और जो होनहार होता है, जितना आवश्यक है उतना सोचता है, उसमें सन्तोष रखने वाला, कभी दुखी नहीं होता। अनावश्यक क्यों सोचें, अपने हिसाब से काम करें, प्रयास करें, पुरुषार्थ करें, परिणाम के बारे में कुछ न सोचें, जो होगा सो होगा। दो ही बातों को यदि व्यक्ति अपने जीवन में आत्मसात कर ले तो मैं समझता हूँ यह प्रश्न ही उपस्थित नहीं होगा। दो बातें हैं- जो होता है सही होता है और जो होना होता है वही होता है। जीवन की सहजता के लिए दोनों बहुत उपयोगी चीजें है हालाँकि दोनों अर्धसत्य है, जो होता है सही होता है, जो होना होता है वही होता है। तुम्हारे जीवन में कुछ भी घट जाए तो कहो जो होता है वो सही होता है। 

आप लोगों को कहानी सुनाता हूँ। एक राजा का अंगूठा कटा, राजा को तकलीफ़ हुई, मंत्री ने कहा- “महाराज, आप क्यों रोते हो, जो होता है अच्छे के लिए होता है।” राजा को गुस्सा आ गया कि- “मेरा तो अंगूठा कटा और तुम कह रहे हो, जो होता है अच्छे के लिए होता है।” राजा ने उसे जेल में डाल दिया। मंत्री जेल में चला गया, राजा शिकार करने के लिए गया और भटक गया। आदिवासियों के दल ने उसे पकड़ लिया और उस दिन उनका कोई धार्मिक अनुष्ठान था, उन्हें एक सर्वगुण संपन्न पुरुष की बलि की आवश्यकता थी और देखा कि अच्छा आदमी पकड़ा गया। उसे बलि की वेदी पर चढ़ाया गया, उनके पुरोहित ने जब उसके शरीर को देखा तो पाया कि इसका अंगूठा कटा हुआ है और जिसका शरीर छिन्न है वह बलि के योग्य नहीं हो सकता, उसे मुक्त कर दिया गया। उसे तुरंत याद आया कि “मेरे मंत्री ने बिल्कुल सही फरमाया था जो होता है सही होता है।” जब वापस आया, उसने अपने राज्य में तो मंत्री को मुक्त किया और कहा “तुमने बिल्कुल ठीक कहा था जो होता है सही होता है। बताओ मेरा अंगूठा कटना तो सही हुआ पर तुम्हारा यह कहना तुम्हारे लिए सही कैसे हुआ, तुम तो जेल में चले गए।” वो बोला “महाराज मेरे लिए भी सही हो गया, अगर मैं जेल में नहीं होता तो आपके साथ होता, आप तो बच जाते, मैं बलि का बकरा बन गया होता है।” सही है जो होता है सही होता है, जो होना होता है वही होता है, यह सोचे सहजता का यही आधार है।

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