शंका
मिथ्यात्व और मोहनीय कर्म किस कारण से होता है?
समाधान
मिथ्यात्व मोहनीय कर्म का सबसे बड़ा पावरफुल सदस्य है बल्कि कहो मोह का मूल मिथ्यात्व है। इसका बन्ध “केवली श्रुत संघ धर्म देवावर्णवादोदर्शन मोहस्य” केवली, श्रुत, संघ, धर्म और देव के अवर्णवाद यानि इनके विरुद्ध अपलाव करने से, इनकी अवज्ञा करने से, इनके बारे में झूठा प्रचार करने से होता है। साथ ही मिथ्यात्व के कार्यों में जुड़ने से भी मिथ्यात्व का बन्ध होता है। मिथ्यात्व का पोषण करने से भी मिथ्यात्व का बन्ध होता है और मोह भी इसी के कारण से जन्म लेता है।
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