अर्द्धपुदगल परार्वतन क्या है?
अर्द्धपुदगल परार्वतन एक शास्त्रीय शब्द है। इसे ऐसे समझो, एक जीव है, संसार में भ्रमण करता रहता है और संसार परिभ्रमण में द्रव्य-क्षेत्र-काल भाव परिवर्तन होता है, उसमें द्रव्य परिवर्तन में एक कर्म द्रव्य परिवर्तन और एक नौ कर्म द्रव्य परिवर्तन होता है। इसमें नौ कर्म द्रव्य परिवर्तन पूर्ण होने पर अर्द्धपुदगल परार्वतन होता है।
एक बहुत अच्छा उदाहरण दे रहा हूँ। एक हरा भरा पेड़ सूख कर पीला पड़ गया, सब पत्ते झड़ गए, पेड़ सूख गया, उसमें आग लग गई, पूरा पेड़ जलकर राख बन गया। उस के बाद तेज आंधी चली पूरे के पूरे वातावरण में राख उड़कर फैल गई। उस के बाद तेज मूसलाधार बारिश हुई जो रहे सहे निशान थे वह भी खत्म कर दिए। उसके बाद जितने परमाणुओं से पेड़ बना था, वैसे परमाणुओं ने फिर एकत्रित होकर उसी जगह पर ठीक वैसा का वैसा पेड़ बनाया। इतने काल की पूर्णता का नाम अर्द्धपुदगल परार्वतन समझ सकते हो।
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