सम्यक दर्शन के प्रभावना और वात्सल्य अंग क्या हैं?
What is Prabhavana and Vaatsalya in Samayak Darshan?
“दुर्भिनिवेश रहित पदार्थों का श्रध्दान अथवा स्वात्म प्रत्यक्षपूर्वक स्व-पर भेद का कर्तव्य – अकर्तव्य का विवेक सम्यक दर्शन कहा जाता है।
सम्यक दर्शन के ८ अंग होते हैं। इनमें से यदि एक भी अंग नहीं हो तो वह संसार परम्परा का नाश नहीं कर सकता है । जैसे किसी मंत्र में यदि एक अक्षर या मात्रा कम हो तो वह प्रभावशील नहीं होता है ।
वात्सल्य :- मुनि, आर्यिका,श्रावक, श्राविका तथा सह धर्मी बन्धुओं का सद्भावना पूर्वक यथायोग्य आदर सत्कार करना वात्सल्य अंग है।
प्रभावना :- जैन धर्म की महिमा को फैलाना प्रभावना अंग है।पूजन,विधान, रथ-यात्रा, दान, ध्यान, तपश्चरण आदि कार्यों से जैन धर्म को फैलाना ताकि अज्ञानता रूपी अन्धकार को हटाया जा सके,इस अंग के अन्तर्गत आता है।”
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