सम्यक दर्शन के प्रभावना और वात्सल्य अंग क्या हैं?

150 150 admin

सम्यक दर्शन के प्रभावना और वात्सल्य अंग क्या हैं?
What is Prabhavana and Vaatsalya in Samayak Darshan?

“दुर्भिनिवेश रहित पदार्थों का श्रध्दान अथवा स्वात्म प्रत्यक्षपूर्वक स्व-पर भेद का कर्तव्य – अकर्तव्य का विवेक सम्यक दर्शन कहा जाता है।
सम्यक दर्शन के ८ अंग होते हैं। इनमें से यदि एक भी अंग नहीं हो तो वह संसार परम्परा का नाश नहीं कर सकता है । जैसे किसी मंत्र में यदि एक अक्षर या मात्रा कम हो तो वह प्रभावशील नहीं होता है ।
वात्सल्य :- मुनि, आर्यिका,श्रावक, श्राविका तथा सह धर्मी बन्धुओं का सद्भावना पूर्वक यथायोग्य आदर सत्कार करना वात्सल्य अंग है।
प्रभावना :- जैन धर्म की महिमा को फैलाना प्रभावना अंग है।पूजन,विधान, रथ-यात्रा, दान, ध्यान, तपश्चरण आदि कार्यों से जैन धर्म को फैलाना ताकि अज्ञानता रूपी अन्धकार को हटाया जा सके,इस अंग के अन्तर्गत आता है।”

Share

Leave a Reply