मन्दिर में मौजे और बेल्ट पहनकर क्यों नहीं जाएं?

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शंका

मन्दिर में मौजे और बेल्ट पहनकर क्यों नहीं जाएं?

समाधान

मौज़े भी जूते की भांति ही अशुद्ध होते हैं। कभी मौज़ों को छूने के बाद हाथ को सूँघ कर के देखो, कैसी बदबू आती है! बेल्ट प्रायः चमड़े की होती है, तो चमड़ा निर्मित सामग्री मन्दिर में लेकर ही नहीं जाना चाहिए।

यह शुद्धता का द्योतक है। न केवल जूते और मौज़े उतारकर मन्दिर में जाना चाहिए अपितु पाँव धोकर के मन्दिर में प्रवेश करना चाहिए, ताकि आपके पैरों में जो कुछ भी नेगेटिव एनर्जी है उसका प्रवाह मन्दिर में न जा सके और आप मन्दिर की शुद्धता और पवित्रता को बरक़रार रख सकें।

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