उत्तम आर्जव धर्म
– वक्रता, कुटिलता, मायाचारी हमारे जीवन का टेढ़ापन है।
-जीवन को सीधा वही कर पाते हैं जो साधना के प्रहार को झेलने के लिए तत्पर रहते हैं।
– कृत्रिमता, कुटिलता, जटिलता और कपट का अभाव ही उत्तम आर्जव धर्म का प्रारम्भ है।
– कृत्रिमता को जितना ओढोगे जीवन की सहजता नष्ट होगी, सरलता नष्ट होगी, सत्य खत्म होगा और शांति विनष्ट होगी।
– मायाचारी का धन बिजली के समान क्षणिक है।
– आर्जव धर्म के लिए जीवन को कृत्रिमता से, कुटिलता से, जटिलता से बचाएँ और जीवन में कपट कभी न पनपने दें।
– मन, वचन, काय पूर्वक कुटिलता का त्याग करना ही आर्जव धर्म है।
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